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महर्षि वाल्मीकि द्वारा लव कुश की शिक्षा

Updated: Mar 31, 2023


balmiki dwara lav kuch ki siksha
balmiki dwara lav kuch ki siksha

गुरु वाल्मीकि ने लव कुश को शस्त्र विद्या के साथ-साथ संगीत विद्या में भी पारंगत किया था लेकिन क्यों? आइये जानते हैं !! लव कुश शिक्षा लव कुश श्रीराम तथा माता सीता के पुत्र थे जिनका जन्म वाल्मीकि आश्रम में हुआ तथा उनकी शिक्षा भी वही हुई। चूँकि वे स्वयं भगवान के पुत्र थे इसलिये उनके अंदर सीखने की क्षमता भी अधिक थी तथा भविष्य में उनके योगदान को देखते हुए महर्षि वाल्मीकि जी ने भी तेजी से उन्हें ज्ञान दिया। गुरु वाल्मीकि का श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद रामायण कथा में महत्वपूर्ण योगदान था। भगवान ब्रह्मा के द्वारा श्रीराम कथा को लिखने का उत्तरदायित्व उन्हें ही मिला था तथा माता सीता के वनगमन के पश्चात उन्हें शरण भी वाल्मीकि जी ने ही दी थी। ऐसे समय में उनके द्वारा माता सीता को शरण देने के साथ-साथ उनके दोनों पुत्रों लव व कुश का पालन-पोषण किया गया तथा उन्हें शिक्षा दी गयी। महर्षि वाल्मीकि द्वारा लव कुश की शिक्षा गुरु वाल्मीकि के द्वारा लव कुश को धर्म का ज्ञान लव कुश का जन्म ही गुरुकुल में हुआ था इसलिये उनकी शिक्षा भी शुरूआती चरण में ही शुरू हो गयी थी। दिनभर आश्रम में रहने तथा नित्य काम करते रहने के कारण उनमे धर्म का ज्ञान दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। गुरु वाल्मीकि का भी उन पर विशेष ध्यान था इसलिये उनकी शिक्षा में कोई कमी नही रही। गुरु वाल्मीकि जी के द्वारा उन्हें संपूर्ण शास्त्रों, वेदों तथा पुराणों की शिक्षा दे दी गयी गुरु वाल्मीकि के द्वारा लव कुश को शस्त्र विद्या देना महर्षि वाल्मीकि ने लव कुश को तीरंदाजी की शिक्षा देना भी बहुत छोटी उम्र से ही शुरू कर दिया था क्योंकि भविष्य में उन्हें श्रीराम का उत्तराधिकारी बनना था। इसके लिए वाल्मीकि जी ने दोनों के लिए छोटे धनुष का निर्माण करवाया तथा प्रतिदिन उन्हें अभ्यास करवाते। उनकी दी हुई शिक्षा का ही परिणाम था कि दोनों ने मिलके श्रीराम के अश्वमेघ वाले घोड़े को पकड़कर उनकी सेना को चुनौती दी थी तथा सभी को पराजित किया था। गुरु वाल्मीकि के द्वारा लव कुश को संगीत विद्या देना जब लव कुश का जन्म भी नही हुआ था तब से ही महर्षि वाल्मीकि ने रामायण कथा को लिखना आरंभ कर दिया था। उचित समय आने पर उन्होंने लव कुश को संगीत विद्या का ज्ञान दिया ताकि वे अयोध्या की प्रजा को उनकी गलती का अहसास करवा सके। उनकी शिक्षा का ही परिणाम था कि लव कुश को श्रीराम दरबार में रामायण कथा को सुनाने का अवसर मिला जहाँ उन्होंने माता सीता के वनगमन के पश्चात की भी कथा सुनाई गुरु वाल्मीकि के द्वारा लव कुश को दैवीय अस्त्र देना तथा गुरु कवच प्रदान करना महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा लव कुश को उचित समय आने पर दैवीय अस्त्र भेंट किये गए ताकि वे श्रीराम की सेना का सामना कर सके तथा उन तक अपना संदेश पहुंचा सके। इसी के साथ किसी भी खतरे से निपटने के लिए उन्होंने लव कुश के चारो ओर स्वयं का गुरु कवच बनाया ताकि किसी भी अस्त्र-शस्त्र से उन्हें नुकसान न हो


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אורח
19 במרץ 2023
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