काकभुशुण्डी को मिला अमरत्व का वरदान
Updated: Mar 31, 2023
काकभुशुण्डी को मिला अमरत्व का वरदान
काकभुशुण्डी एक कौवा थे जो भगवान विष्णु के रूप श्रीराम के अनन्य भक्त थे। जब भगवान श्रीराम छोटे थे तथा अपने राजमहल में बाल क्रीड़ायें करते थे तब कालभुशुण्डी छुपकर वहां आते थे तथा श्रीराम के बाल रूप के साथ खेला करते थे। जब श्रीराम अपने कक्ष में अकेले हुआ करते थे तब काकभुशुण्डी उनके पास आते तथा उनके साथ क्रीड़ायें करते। उसी समय उन्हें भगवान विष्णु ने अमरत्व का वरदान मिला था।
काकभुशुण्डी की आखों पर पड़ा माया का पर्दा
श्रीराम जो भोजन खाते तथा उसमे से झूठन छोड़ देते थे, काकभुशुण्डी उसी मे से खा लेते थे। एक दिन इसी खेल-खेल में उन्होंने प्रभु के साथ से रोटी का टुकड़ा छीन लिया। यह देखकर श्रीराम का बाल स्वरुप जोर-जोर से रोने लगा। काकभुशुण्डी ने जब प्रभु को एक रोटी के टुकड़े के लिए इस तरह विलाप करते देखा तो उनकी आँखों पर माया का पर्दा पड़ गया तथा उनसे उनका मोहभंग हो गया। वे उसी समय वहां से उड़कर चले गए
प्रभु से हारे काकभुशुण्डी
जब काकभुशुण्डी प्रभु की शक्ति को अनदेखा कर आकश में उड़ गए तो उन्होंने पीछे देखा कि वही रोता हुआ बालक उनके साथ-साथ आकाश में उड़ रहा है। यह देखकर वे और जोर से उड़ने लगे तथा हर लोक में भागे लेकिन प्रभु ने उनका पीछा नही छोड़ा। अंत में वे थक हारकर वापस प्रभु के कक्ष में आ गए तथा उनसे क्षमा याचना की। काकभुशुण्डी को क्षमा याचना करता देखकर प्रभु ने उन्हें अपने असली रूप के दर्शन दिए तथा उन्हें अपने सभी गुणों का ज्ञान दिया। इस पर काकभुशुण्डी ने उनसे प्रभु की केवल भक्ति मांगी। यह सुनकर प्रभु अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा उसे वरदान दिया।
प्रभु का काकभुशुण्डी को वरदान
उन्होंने काकभुशुण्डी को अपने सभी गुण दे दिए तथा उसे अपने सभी रूपों को पहचानने का वरदान दिया। उनके दिए वरदान के अनुसार काल कभी भी उन्हें नही मार सकेगा। उनका अंत कल्प के अंतिम समय में प्रलय काल में ही होगा। यह कहकर प्रभु अंतर्धान हो गए। इस तरह काकभुशुण्डी हमेशा के लिए अमर हो गए।
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